क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग 24
दुर्जन दरोगा की बात सुन रहा था । दरोगा ने बात मुकम्मल की और खामोश हो गया । दुर्जन भी खामोश कुछ सोच रहा था ।
"नही करवानी हमें कोई छान बीन दुर्जन का भी यही फैसला होगा " अम्मा ने कहा
दुर्जन ने अम्मा की तरफ देखा फिर दरोगा की तरफ निगाह डाली और एक गहरी सास लेते हुए कहा " मुझे सच जानना है फिर चाहे गुनेहगार साहूकार का बेटा हो या फिर मेरी बेटी मुझे बस सच जानना है "
"पागल मत बन पूरा गांव जानता है कि इसमें अंजली का ही हाथ है और साहूकार का बेटा जैल में था बेवजह और बदनामी होगी, बिना सच जाने ही लोग ना जाने केसी केसी बाते कर रहे और अगर भगवान ना करे ये बात सच हो गयी कि जो कुछ अंजली के साथ हुआ हाँ वो किसी और ने किया है ना कि साहूकार के बेटे ने, तो साहूकार और ये गांव वाले हमें इस गांव में जीने नही देंगे, मेरी मान सच को ज़्यादा मत कुरेद बेवजह तुझे ही तकलीफ पहुचे गी और वैसे भी सच जानने के बाद क्या तेरी बेटी सही हो जाएगी, क्या कोई उसको अपने घर की बहु बनालेगा जो उससे प्रेम करता था वो ही छोड़ कर चला गया तो दूसरे लोग तो उसके करीब भी नही आएंगे " अम्मा ने कहा
"अम्मा मैं जानता हूँ सच को जानना मुश्किल है । और सच्चाई जानने के बाद मेरी बेटी का चेहरा तो नही बदल सकेगा लेकिन उस पर लगे दाग हट जाएंगे जिसके बाद मेरी बेटी सर उठा कर जी सकेगी ना की गुनेहगार की तरह बेगुनाह होते हुए भी अगर ये सब साहूकार के बेटे ने किया होगा तो गांव वालो के सामने साहूकार और उसके बेटे का मक्कार चेहरा सबके सामने आ जाएगा " दुर्जन ने कहा
"इसका दूसरा रुख भी देख रहे है आप, अगर आपकी बेटी गुनेहगार साबित हुयी और साहूकार का बेटा बेगुनाह तो आप जानते है कि साहूकार और गांव वाले आप के साथ किया कर सकते है " दरोगा ने कहा
"मुझे बस उस रात की सच्चाई जानना है बस , बाकी किया होगा भगवान जाने " दुर्जन ने कहा
"तो फिर सही है , मैं उस बॉटल को जिसपर मुजरिम की उंगलियों के निशान है उसे साहूकार के बेटे से मैच कराता हूँ, उसके उंगलियों के निशान हमारे पास है जब वो जैल में गया था तब उसके हाथो के निशान ले लिए गए थे " दरोगा ने कहा और चला गया ।
दुर्जन रोते हुए अपना माथा पकड़ कर बोला " अम्मा ये किया हो गया आखिर किस की नज़र लग गयी हमारे घर की खुशियों को, जो ये सब हो गया "
"रो मत मेरे बेटे जो होना था वो हो गया , अब आगे सोच आगे किया करना है " अम्मा ने कहा
"मुझे कुछ समझ नही आ रहा कि मैं किया करू एक तरफ मेरी बेटी जो अभी तक अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच खड़ी है और दूसरी तरफ गांव वाले जो उस पर ना जाने कैसे कैसे इल्जाम लगा रहे है " दुर्जन ने कहा
अम्मा ने उसका सर सेहलाया और कहा " सब ठीक हो जाएगा "
दुर्जन थोड़ा खामोश हुआ और अपनी माँ कि गोदी में सर रख कर आँखे बंद करली ।
थाने में पहुंच कर दरोगा ने उस बोतल को शहर भेजनें का बंदोबस्त किया उसने ये सब कुछ इस्पेक्टर कमलेश को नही बताया क्यूंकि वो जानता था कि अगर अर्जुन गुनेहगार साबित हुआ तो वो उस को बचा लेगा, इसलिए उसने सब कुछ चोरी छिपकर करा मानो उसने वहा कि तलाशी ली ही ना हो और उसे कुछ मिला भी नही हो।
. दरोगा ईमानदार था , वो चाहता था कि असली गुनेहगार पकड़ा जाए और उसे सजा मिले।
अंजली वैसे ही बेहोश पड़ी थी । उसका ऑपरेशन हो चुका था किन्तु डॉक्टर ने उसे कुछ इंजेक्शन दिए थे जिसमे नशा बहुत था क्यूंकि जो जख्म उसके चेहरे पर थे उनको सहन करना कोई आसान काम नहीं था ।
दुर्जन खिड़की से खड़े होकर अंजली को देखता और रोता और कहता "मेरी बच्ची तू कब होश में आएगी , कब तक यूं ही बेहोश पड़ी रहेगी सब लोग कह रहे है । कि इन सब की ज़िम्मेदार तू खुद है जबकी मेरा दिल नहीं कहता कि मेरी बेटी कभी कोई गलत काम भी कर सकती है ।
मुझे तेरे मुँह से सुनना है आखिर उस रात कौन था तेरे साथ और ये सब किसने किया।"
अर्जुन अपनी कामयाबी पर बहुत खुश था उसने अपना बदला ले ही लिया और आज वो घर से बाहर निकल आया अपनी गाड़ी और कुछ दोस्तों के साथ ।
सब लोग उसे छोटे मालिक, छोटे मालिक कह कर सलाम करते । अर्जुन अस्पताल के बाहर खड़ा हो जाता और अपने एक आदमी को भेज कर अंजली के आस पास कि खबर लेने को कहता ।
दुर्जन जो की थक चुका था और उसकी आँख लग गयी थी ।और वो अंजली के पास ही सो गया ।अर्जुन अपने मुँह पर कपड़ा डाल कर अस्पताल के अंदर आया अंजली के कमरे के पास और अंजली जिस कमरे में थी उसकी खिड़की से देख कर कहता " देख अपनी बेटी की हालत मुझसे उलझने का अंजाम किया होता है , तेरी बेटी जान चुकी है अब तूने और तेरी बेटी ने ही मुझे जैल भिजवाया था पूरे गांव के सामने बदनाम करके , अब तुम दोनों देखो मैं तुम्हे किस तरह बदनाम करता हूँ की तुम्हे खुद गांव वाले धक्के देकर निकालेंगे। और ये तेरी बेटी जिसे घमंड था अपनी खूबसूरती पर , अब ये खूबसूरती ही इसका अभिशाप बन गयी अब ये जहाँ भी जाएगी लोग इससे दूर भागे गे । मुझसे उलझने वाले का अंजाम ऐसा ही होता है दर्दनाक "
दुर्जन ने अर्जुन को ये सब कहते हुए सपने में देखा और घबरा कर उठा और बोला " मेरी बेटी, मैं तुझे बचा लूँगा उससे वो यही है इसी अस्पताल में है ये कह कर दुर्जन बाहर की तरफ कहते हुए भागा " मेरी बेटी का गुनेहगार यही है मेने उसे देखा है , वो मेरी बेटी को नुकसान पहुंचाने आया है "
अर्जुन उसे बाहर आता देख घबरा कर वहा से छिपता छिपाता बाहर भाग आया ।
दुर्जन को वहा के कर्मचारियों ने समझाया की यहाँ कोई नहीं है । आपने ज़रूर कोई सपना देखा होगा।
अर्जुन भाग कर अपने घर आ पंहुचा । अर्जुन के अस्पताल जाने की खबर चरण सिंह को हो गयी थी । क्यूंकि उसने एक मुखबिर अर्जुन के पीछे लगा दिया था ताकि वो अर्जुन के पल पल की खबर उसे देता रहे ।
साहूकार गुस्से में बैठा अर्जुन का इंतज़ार कर रहा था । और उसे अंदर आते देख उठ खड़ा हुआ और गुस्से में कहा ।
अर्जुन जैसे ही घर में घुसा सामने अपने पिता को गुस्से में देख कर डर गया ।
चरण सिंह ने गुस्से में उससे पूछा " कहाँ से आ रहा है नामाकूल "
अर्जुन डरते हुए " प,,,, प,,,,, पिता जी वो बाहर गया था दोस्तों के साथ "
चरण सिंह ने उसके खींच कर थप्पड़ मारा और कहाँ " बाप से झूट बोलता है, मेने तुझसे मना किया था कि अभी गांव में मत घूमना और तू हस्पताल चला गया उस लड़की को देखने , किया जैल जाना चाहता है मुझे बदनाम करने कि और सडक पर लाने की तुम लोगो ने कसम खा ली है । एक तेरा मामा है , हर समय घात लगाए बैठा रहता है मुझे लूटने के लिए और तू है की मुझे उस के हाथो लुटने के बहाने दें रहा है । "
"माफ कर दीजिये अब नही जाएगा" चरण सिंह की पत्नि ने अर्जुन को अपने सीने से लगाते हुए कहा
"ये सब तुम्हरे और हमरे लाड़ प्यार का नतीजा है। कल सुबह ही शहर के लिए रवाना हो जा। वहा अपनी गर्मी निकाल। और जब तक मामला रफा दफा ना हो जाए गांव की तरफ भटकना भी मत ।" चरण सिंह ने कहा
अर्जुन अपने गाल पर हाथ रख कर अपनी माँ की तरफ घूरता हुआ अपने कमरे की तरफ जाने लगा ।
"केसी नामाकूल औलाद पैदा की है तुमने। किसी काम की नही है मुझे तो डर है कि ये मेरा राजपाठ कैसे संभालेगा । जो कुछ भी मेने कमाया है उसे ये मिट्टी में मलिया मेट कर देगा एक दिन अगर यही लक्षण रहे इसके तो।" चरण सिंह ने कहा
"अभी जवान खून है । इसलिए ज्यादा खोल जाता है जब इस पर अंकुश लगाने वाली आ जाएगी तो अपने आप सही हो जाएगा। अब इसके लिए एक लड़की देखूंगी जो इसे संभाल सके " चरण सिंह की पत्नि ने कहा
"करतूत पता चल जाए अगर साहबजादे के तो कोई अपनी लड़की का हाथ किया तस्वीर भी इसके हाथ में नही देगा। जिस तरह के कारनामें इसने किए है । जी करता है जान से मार दू बस मजबूर हूँ आखिर इस घर का वारिस और वंश जो ठहरा " चरण सिंह ने कहा
अर्जुन अपने गाल पर हाथ रखे हुए शीशे में खुद को देख रहा था और गुस्से में बोला " ये सिर्फ तेरी वजह से हो रहा है दो टके की लड़की वरना मजाल नही थी मेरे बाप की जो मुझ पर हाथ उठा दें। अब तू भी वही सब कुछ सहेगी " ये कह कर अर्जुन ज़ोर से चिल्लाया और वहा रखी हर चीज तहस नहस कर दी और अलमारी से शराब की बोतल निकाल कर गट गट कर के पीने लगा । और बेड पर गिर गया ।
वहा दूसरी तरफ अस्पताल में दुर्जन अभी भी वही कह रहा था " कि वो मेरी बेटी को नुकसान पंहुचा देगा "
नर्स ने उसे पानी पिलाया और समझाया कि यहाँ कोई नही आया था । आप ने ज़रूर बुरा सपना देखा होगा अभी आप एक बुरे दौर से गुज़र रहे है । इसलिए आपको कोई बुरा ख्वाब आया होगा।
दुर्जन भी ना चाहते हुए भी यकीन कर बैठा कि शायद उसका भ्रम है ।
उधर अंजली बिस्तर पर पड़ी थी । वो गर्दन हिला रही थी मानो किसी चीज को मना कर रही हो उसे होश आने लगा था । काफी देर ऐसे ही गर्दन हिलाने के बाद वो ज़ोर से चीख कर कहती हुयी उठी " नही ऐसा मत करो मुझे जाने दो मेरी शादी है आज "
तभी बाहर बैठा दुर्जन और वो नर्स कमरे से आती आवाज़ सुन अंदर की और भागते है। दुर्जन अंदर जाकर अंजली को अपने सीने से लगा लेता है और कहता " कुछ नही हुआ मेरी बच्ची तुझे "
अंजली बार बार यही कहती " पिता जी मुझे बचा लो नही तो वो मुझे जला देगा, पिता जी मुझे बचा लो नही तो वो मुझे जला देगा "
दुर्जन उससे पूछता है " कौन बेटा, कौन था वो जिसने ये सब कुछ किया, आखिर किससे मिलने गयी थी तू उस रात बतादे मुझे "
"किया हुआ था उस रात, मैं कहा पर हूँ अमित कहा है , वो नही आया । मेरी शादी हो गयी ना, आपने मुझे अपने घर से विदा कर दिया ना पिता जी कुछ तो बताये। आखिर मैं कहा पर हूँ अमित कहा है ।" अंजली ने दुर्जन को झंझोड़ते हुए कहा।
दुर्जन अपनी बेटी की हालत देख फूट फूट कर रोने लगा और बोला " बेटा तू हस्पताल में पिछले कई दिनों से है सब ख़त्म हो गया , तेरी बारात दरवाज़े से ही लोट गयी। अमित जा चुका है तुझसे सारे नाते तोड़ कर लेकिन तू फ़िक्र मत कर हम दोनों मिलकर सब ठीक कर देंगे मैं तेरे लिए अमित से भी अच्छा दूल्हा ढूंढ कर लाऊंगा बस तू ठीक हो जा और सब को बता दें की तू बेक़सूर है उस रात तू अपनी मर्ज़ी से वहा नही गयी तुझे फ़साया गया था एक साजिश के तहत "
अंजली का हाथ एक दम अपने चेहरे पर जाता उसे थोड़ी जलन महसूस होती। अब वो दोनों हाथो से अपने चेहरे पर उंगलियां फेर थी उसे तकलीफ होती। वो उठने को होती ताकि पास लगे शीशे में अपना चेहरा देख सके ।
लेकिन दुर्जन उसका हाथ पकड़ कर अपनी आँखों में आंसू लिए अपनी गर्दन हिलाते हुए उसे चेहरा देखने से मना करता है ।
किया हुआ पिता जी आप रो क्यू रहे हो और मेरा चेहरा देखने से मना क्यू कर रहे हो किया हुआ मेरे चेहरे को अंजली ने अपने पिता से कहा और खामोश हो गयी और कुछ सोचने लगी ।
उसे वो रात याद आ गयी जब अर्जुन ने उसके चेहरे पर तेजाब फेका था और तड़पती हुयी ज़मीन पर गिर गयी थी ।
नही,,,, नही,,,, नही,,,, ऐसा नही हो सकता । भगवान जी मेरे साथ इतना बढ़ा खेल नही खेल सकते नही ऐसा नही हो सकता । अंजली ये कहती हुयी अपने पिता का हाथ छुड़ाती हुयी आयने की तरफ दौड़ी और जैसे ही उसने अपना आधा जला हुआ चेहरा देखा तो चीख कर अपना मुँह फेर लिया थोड़ी देर के लिए ।
और फिर डरते डरते अपना चेहरा धीरे धीरे आयने के सामने लायी। उसने अपने दोनों हाथ उठाये और चेहरे पर ले जाकर फेरने लगी और रोते हुए बोली " नही, नही ये नही हो सकता मेरा चेहरा , मेरा चेहरा मुझे वापस दो, मेरा चेहरा मुझे वापस दो ये कहते हुए उसने वहा मेज पर रखे एक औज़ार से शीशा तोड़ दिया।
दुर्जन उसके पास आया और बोला " होश मैं आ मेरी बच्ची अब यही तेरा असली चेहरा है जो उस रात उस ज़ालिम ने दिया है । बता मुझे आखिर कौन था वो तेरा बाप अभी ज़िंदा है उसे सजा दिलवा कर रहेगा "
"पिता जी मेरा चेहरा , ये किया हो गया मेने किसी का किया बिगाड़ा था । आखिर मेरा कसूर किया था जो मुझे ऐसी सजा मिली बताये पिता जी। अमित कहा है मुझे उससे बात करनी है । मैं उसे सब खुद बताउंगी वो मेरा यकीन करेगा वो मुझसे प्यार करता है । वो मुझे ज़रूर समझेगा मुझे उसकी ज़रुरत है । कहा है वो पिता जी। जरूर बाहर होगा " अंजली ने रोते हुए कहा और उठ कर बाहर अमित को देखने जाने लगी ।
दुर्जन ने उसे पीछे से रोका और कहा "कोई नही है बाहर सब चले गए । तेरा अमित भी तुझे छोड़ कर जा चुका है , उसे भी तुझ पर भरोसा नही। वो अब जा चुका है अब नही आएगा "
"किया मतलब पिता जी नही आएगा । वो मुझसे प्यार करता था । साथ जीने मरने की कस्मे खाता था आज यूं इस तरह मुझे अकेला छोड़ कर कैसे जा सकता है ।आप ज़रूर मुझसे मज़ाक कर रहे है ताकि जब अमित मेरे सामने आये तो मैं खुश हो जाऊ और अपना गम भूल जाऊ। सही कहा ना पिता जी मेने " अंजली ने दुर्जन से कहा
" काश मेरी बच्ची ये सब झूट और मज़ाक होता, काश की तेरा अमित तेरे पास होता आज लेकिन ऐसा नही है , तुझे हकीकत मानना ही पड़ेगी अमित जा चुका है अपनी माँ के साथ उसकी मोहब्बत बस वही तक थी जब तक उसकी परीक्षा नही ली गयी थी । इम्तिहान की घड़ी आते ही उसकी मोहब्बत ने साथ छोड़ दिया और वो भी दूसरों की बातो पर यकीन कर के सारे रिश्ते नाते तोड़ कर चला गया " दुर्जन ने अंजली को अपने सीने से लगाया और कहा।
अंजली बहुत रोई अपने पिता के सीने से लग कर उसे अब भी यकीन था की अमित ज़रूर आएगा । वो अपना चेहरा बार बार आईने में देखती और अपनी नज़रे झुका लेती।
उसका आधा चेहरा बिलकुल जल चुका था । और सिकुड़ गया था ।
अंजली अपने पिता के सीने से लगी रो रही थी और सिर्फ यही कह रही थी " अमित आएगा वो मुझे छोड़ कर नही जा सकता आप सब लोग झूट बोल रहे है , वो मुझसे प्यार करता था । साथ जीने मरने की कस्मे खाता था अब यूं इस तरह मुझे अकेला छोड़ कर नही जा सकता है वो। वो आएगा वो ज़रूर आएगा मुझे अपने प्यार पर पूरा यकीन है "
दरवाज़े पर एक दस्तक होती है ।
अंजली अपने पिता से कहती है " मेने कहा था ना, अमित ज़रूर आएगा मुझे यकीन था वो ज़रूर आएगा ये कहते हुयी वो जैसे ही दरवाज़े की तरफ बड़ी । उसके होश उड़ गए । वहा खड़े उस शख्स को देख कर
आखिर कौन था दरवाज़े पर जानने के लिए पढ़ते रहिये ।
Abhinav ji
29-May-2022 08:47 AM
Nice👍
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Shnaya
28-May-2022 03:12 PM
👌🙏🏻
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Reyaan
28-May-2022 12:43 AM
👏👌🙏🏻
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